उन्नाव जनपद की पुरवा कोतवाली का नया मामला सामने आया है ।
प्रभारी निरीक्षक पुरवा ने एक दलित बिरादरी के कमलेश को थाने में बिना एफआईआर लिया हिरासत में ।
जब प्रभारी निरीक्षक से इस बाबत जानकारी की गई तो पहले तो प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि मारपीट दोनो पक्षों में हुई है फिर दूसरे पक्ष को पीड़ित बताया ।
और कमलेश को मारपीट का आरोपी बताया ।
जब प्रभारी निरीक्षक से एफआईआर और एनसीआर या पीड़ित पक्ष के शिकायती प्रार्थना पत्र के संबंध में पूछा गया तो फिर बात बदलते हुए शांति भंग की बात करने लगे ।
प्रश्न no 1 दिल्ली से अपनी रिश्तेदारी तुसरौर जहां किसी की मृत्यु हो गई है आ रहा व्यक्ति रास्ते में बस में किसी को क्यों मारेगा ?
प्रश्न no 2 जब रास्ते में बस रोककर जिन लोगों ने पीड़ित एससी बिरादरी के कमलेश को मारा तो उन लोगों को पुलिस ने हिरासत में लेने के बाद छोड़ा क्यों ?
प्रश्न no 3 जब दूसरा पक्ष पीड़ित था तो एनसीआर, एफआईआर,क्यों दर्ज नहीं की ?
प्रश्न no 4 दूसरे पक्ष ने प्रभारी निरीक्षक के अनुसार जो पीड़ित है उसने प्रार्थना पत्र क्यों नही दिया जिससे स्पष्ट है कि विवाद दोनो पक्षों में हुआ एक पक्ष छोड़ा गया दूसरे को बंद किया गया ?
प्रश्न no 5 दो पक्षों में विवाद के बाद पीड़ित दलित कमलेश को पीटने बालों के विरुद्ध कार्यवाही क्यों नही ?
प्रश्न no 6 क्या पुरवा में ऐसे ही पीटने के बाद बंद होंगे दलित ?
प्रश्न no 7 आखिर आरोपी को पीड़ित और पीड़ित को आरोपी बनाने में पुलिस ने कैसे किया खेल ?
प्रश्न no 8 क्षेत्राधिकारी पुरवा और पुलिस अधीक्षक उन्नाव सिद्धार्थ शंकर मीणा तक नही पहुंची इतनी बड़ी बात ?