थानाध्यक्ष ने कहा कि आरोपी ने सोशल मीडिया पर पवित्र पुस्तक के खिलाफ बात की और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई। वहीं, सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बयान पर कायम हैं।लखनऊ में रामचरितमानस(रामायण) की जलाई गईं प्रतियां, मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य समित 10 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज.
लखनऊ में रामचरितमानस की जलाई गईं प्रतियां, मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों के खिलाफ FIR दर्जथानाध्यक्ष ने कहा कि आरोपी ने सोशल मीडिया पर पवित्र पुस्तक के खिलाफ बात की और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई। वहीं, सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बयान पर कायम हैं।Follow us onलखनऊ में रामचरितमानस की जलाई गईं प्रतियां, मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों के खिलाफ FIR दर्जरामचरितमानस पर विवाद
उत्तर प्रदेश: लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां फाड़ने और जलाने के मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों और कुछ अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। प्राथमिकी लखनऊ के पीजीआई थाने में दर्ज कराई गई है। स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) राजेश राणा ने कहा कि उन्हें बीजेपी सदस्य सतनाम सिंह लवी से शिकायत मिली थी, जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई।बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की जिला कार्य समिति के अध्यक्ष सतनाम सिंह ने 10 नामजद और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। इनमें स्वामी प्रसाद मौर्य, देवेंद्र प्रताप यादव, यशपाल सिंह लोधी, सत्येंद्र कुशवाहा, महेंद्र प्रताप यादव, सुजीत यादव, नरेश सिंह, एस यह बुरा है। पत्नी और परिजन मुझे पहचानने से इंकार करते हैं। ऋषि कवच ऐलूष का परामर्श है - जुंआ छोड़ो, कृषि करो।‘‘ ऋग्वेद अथर्ववेद में सभा और समिति विचार विमर्श के केन्द्र है। सभा सभ्यों से बनती है। सभा का अर्थ प्रकाशयुक्त है। महाभारतकाल में स का अर्थ सहित है और भा का अर्थ प्रकाश है। भारत में भी भा प्रकाशवाची है। रत सम्बद्धता है। वैदिक काल वाली सभा प्रकाश ज्ञान से युक्त है।
महाभारतकाल में धर्म के सम्बंध में वरिष्ठों में भी मत भिन्नता है। सभा में द्रोणाचार्य हैं, भीष्म हैं। धर्मराज युधिष्ठिर हैं। सब अपने ढंग से धर्म पर राय देते हैं। यह धर्म के पराभव का समय है। द्रौपदी इसे धर्म नहीं मानती। उसने कहा, ‘‘भरतवंश के नरेशों का धर्म निश्चय ही भ्रष्ट हो गया है। उनका सदाचार भी लुप्त हो गया है। राजा बताएं कि क्या मैं धर्म के अनुसार जीती गई हूँ या नहीं?‘‘ भीष्म कहते हैं, ‘‘धर्म का स्वरुप अति सूक्ष्म है। इसलिए मैं तुम्हारे प्रश्न का विवेचन नहीं कर सकता।‘‘ धर्मराज युधिष्ठिर यक्ष प्रश्नों के उत्तर में धर्मतत्व को गुहा में अवस्थित बताते हैं। यही स्थिति भीष्म की भी है। भीष्म कहते हैं, ‘‘धर्मराज युधिष्ठिर धन सम्पदा से भरी पूरी पृथ्वी त्याग सकते हैं लेकिन धर्म नहीं छोड़ सकते।‘‘ महाभारत में धर्मतत्व की प्रतिष्ठा कम है। द्रौपदी सभा में सबको धिक्कारतीं हैं। श्रीकृष्ण से कहती हैं, ‘‘मुझे कुरु सभा में घसीटा गया। अल्पबल पति भी भार्या की रक्षा करते हैं।‘‘ यह सनातन धर्म मार्ग है। पत्नी की रक्षा सनातन धर्म है। महाभारत में इस धर्म का पराभव है। श्रीकृष्ण इस पराभव को धर्म की ग्लानि कहते हैं और धर्म संस्थापना अर्थाय अवतार लेने की घोषणा करते हैं। धर्म भारत के लोगों की जीवनशैली है।
महाभारत में धर्म की बड़ी चर्चा है। तमाम संशय हैं, तर्क हैं। वनपर्व में युधिष्ठिर और द्रौपदी के मध्य भी धर्म चर्चा है। पांडवों पर संकट था। द्रौपदी ने कहा, ‘‘मैंने आपसे सुना है कि धर्म की रक्षा करने से धर्म स्वयं ही धर्म रक्षक की रक्षा करता है लेकिन वह धर्म आपकी रक्षा नहीं कर रहा है।‘‘ युधिष्ठिर ने कहा, ‘‘वशिष्ठ, व्यास, मैंत्रेय, लोमश आदि ऋषि धर्म पालन से ही शुद्ध मन हुए। धर्म निष्फल होता तो जगत में अंधकार होता।‘‘ यहाँ धर्म पालन की प्राचीन परंपरा का स्मरण है। धर्म पालन से होने वाले लोकहित का भी स्मरण है। धर्म अंधविश्वास नहीं है। यह प्रत्यक्ष कर्तव्य है। यह सत्य सिद्ध है। धर्म सबको धारण करता है। विष्णु ऋग्वेद में बड़े देवता हैं। उनके कई अवतार हैं। श्रीराम श्रीकृष्ण विष्णु अवतार हैं। विष्णु के लिए भी धर्म पालन अनिवार्य है। विष्णु ने तीन पग चलकर समूचा ब्रह्माण्ड नाप लिया था। यह कार्य आश्चर्यजनक था। ऋग्वेद के अनुसार उन्होंने यह कार्य धर्म के अनुसार चलकर पूरा किया। ग्रिफ्थ ने धर्म का अनुवाद ‘लाज‘ (नियम या विधि) किया है। मित्र और वरुण ऋग्वेद में प्रतिष्ठित देवता हैं। वे सबसे नियम पालन कराते हैं। यह कार्य भी वे स्वयं धर्मानुसार ही करते हैं। सूर्य तेजस्वी हैं। प्रकृति की महाशक्ति हैं। ऋग्वेद(1-60-1) के अनुसार सूर्य भी धर्मणा हैं। वे द्युलोक और पृथ्वी को अपने धर्म आचरण द्वारा प्रकाश से भरते हैं - स्वायधर्मणे। (4-53-3) प्रजापति भी सत्यधर्मा हैं।(10-121-9) तैत्तिरीय उपनिषद् की शिक्षावल्ली में कहते हैं, ‘‘सत्यंवद धर्मंचर - सत्य बोलो, धर्म का आचरण करो।‘‘ वृहदारण्यक उपनिषद् में ऋषि कहते हैं, ‘‘जिससे सूर्य उदय अस्त होता है, वह प्राण से ही उदित होता है, प्राण से ही अस्त होता है। इस धर्म को देवों ने बनाया है।‘‘ यहाँ प्रकृति व समाज के नियम धर्म है। देवों पूर्वजों द्वारा इस धर्म नियम का सृजन हुआ है। यह आदर्श है। महाभारत के बाद सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा हुई। महाभारत के समाज में भी धर्म एस यादव, संतोष वर्मा, सलीम और कुछ अज्ञात लोग हैं।समर्थन में उतरे थे नामजद आरोपीथानाध्यक्ष ने कहा, "रामचरितमानस के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां और सार्वजनिक रूप से इसके पन्नों को जलाने से समाज में विभाजन और सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है। आरोपी ने सोशल मीडिया पर पवित्र पुस्तक के खिलाफ बात की और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई।" इन सभी पर भारतीय दंड संहिता की धारा- 153-ए, 295 ए, 505 और 298 और आईटी अधिनियम की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने कहा कि प्राथमिकी में नामजद आरोपी रविवार को अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के बैनर तले समाजवादी पार्टी एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में उतरे थे। सपा नेता अपने बयान पर कायम सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है, "गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता। जिन पाखंडियों ने धर्म के नाम पर पिछड़ो, महिलाओं को अपमानित किया, नीच कहा, वो अधर्मी हैं...किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? तुलसीदास ने तो नहीं कहा।"